कुष्ठ रोग अब नहीं रहा तलाक का आधार

कुष्ठ रोग अब नहीं रहा तलाक का आधार

सेहतराग टीम

कुष्ठ रोग के आधार पर अब तलाक नहीं लिया जा सकेगा। संसद ने इस रोग को तलाक का आधार नहीं मानने के प्रावधान वाले एक विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी। 

बजट सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में इस विधेयक पर सहमति बनने के बाद इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। बहरहाल, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर सहमति नहीं बनी। बुधवार को सरकार ने इस विधेयक को भी पारित कराने पर जोर दिया।

उच्च सदन में वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को ध्वनि मत से पारित किया गया। वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 में पांच वैयक्तिक कानूनों में तलाक के लिए दिए गए आधार से कुष्ठ रोग को हटाने का प्रावधान है। यह पांच वैयक्तिक कानून क्रमश: हिंदू विवाह अधिनियम-1955, विवाह विच्छेद अधिनियम-1869, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम-1939, विशेष विवाह अधिनियम-1954 और हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम-1956 हैं। 
विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उन कानूनों और प्रावधानों को निरस्त करने की सिफारिश की थी जो कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं। इसके अलावा, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उस घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का आह्वान किया गया है।

2014 में उच्चतम न्यायालय ने भी केंद्र और राज्य सरकारों से कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कदम उठाने को कहा था। अब इस विधेयक पर राष्‍ट्रपति के हस्‍ताक्षर होते ही ये कानून की शक्‍ल ले लेगा।

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